आज के युग में स्त्री और पुरुष दोनों ही अपना गृहस्थ जीवन के ठीक ढंग से यापन नहीं करते हैं। लोगों को दूसरे के खाना और पराई स्त्री /पुरुष में अधिक आकर्षक होता है।वो लोग अपने गृहस्थ आश्रम का सही तरीके से संचालन नहीं करते हैं।ज्योतिषशास्त्र के अनुरूप कुछ पूर्व जन्म संचित कर्मो होते है। दूसरा माता -पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार नही देते है।जिससे सामाजिक व्यवस्था खराब हो जाती हैं। मनुष्य की मृगतृष्णा में अपना और परिवार का जीवन खराब करता है।सतयुग,त्रेतायुग, द्वापरयुग में इस तरह कर्म होते थे।कलयुग में भ्रष्टाचार का बोलबाला अधिक है। इस समय स्थिति में रिश्तों का सम्मान नहीं है। जन्मकुण्डली में योग होता हैं ।
In today's era, both men and women do not live their household life properly. People are more attracted in other's food and foreign woman/men. Those people do not run their household ashram properly. According to astrology, some previous births are accumulated karma. Second, parents do not give good values to their children. Due to this, the social system gets spoiled. In the mirage of man, he spoils the life of himself and his family. In the Golden age, Tretayuga, Dwapara yuga, such actions used to happen. Corruption is more prevalent in Kaliyuga. Relationships are not respected in this situation. There is yoga in the horoscope.
Definition:- If it is conjoined with Venus, Saturn, Mars, and Moon in the seventh house of the horoscope, then it becomes a matrimonial adultery yoga.
परिभाषा :- यदि कुंडली के सातवें भाव मे शुक्र, शनि, मंगल ,चन्द्रमा से युक्त हो तो वह सपत्नीक व्यभिचार योग बनता है।
फल :- पति -पत्नी दोनों ही व्यभिचारी होंगे।
अभ्युक्तियां :- जन्म कुंडली के सातवें भाव के अन्तर्ग्रस्त ग्रहों की संख्या और उनके स्वभाव पर ध्यान अवश्य दें।चन्द्रमा और शनि की युक्ति से मनोबल गिरता है क्योंकि मंगल और शुक्र की युक्ति से लैगिक इच्छा का अभाव होता हैं।यह देखने में आएगा कि जो चिर व्यभिचारी या व्यभिचारिणी है जो अवसर की तलाश में रहते है कि जो लोग अत्यधिक कामी होते है। कई परिवारों में पति -पत्नी दोनों ही भ्रष्ट तथा व्यभिचारी होने के उदाहरण मिलते है।कुछ विद्वानों का मत है कि पुरुषों में नपुंसकता और स्त्री में नपुंसकता ये दोनों तथ्य व्यभिचार के मुख्य कारण होते है।